कैक्टस !!
तनाव है चारो तरफ़
बाहर न यूँ जाया करो
पहले दिखाओ आँखें
फिर मुस्कुराया करो
मतलबी ये दुनिया
गूँगा न समझ ले कहीं
कभी कभी इसीलिए
ज़ोर से चिल्लाया करो
तोड़कर हर फूल को
लोग फेंक देते हैं
घरों की दीवार पर
कैक्टस ही लगाया करो।
अश्वनी राघव (रामेन्दु)
लाज़वाब अब केक्टस ही लगाएंगे
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जी शुक्रिया
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ख़याल अच्छा है.
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शुक्रिया रेखा जी
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Very touchy poem
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Thanks Girija ji for ur kind words
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बहुत खूब
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शुक्रिया सरिता जी
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बहुत शानदार सर
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शुक्रिया वैभव जी
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शानदार कटाक्ष 👍
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शुक्रिया सर
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स्वागत है आपका 😊
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने कैक्टस पर।
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शुक्रिया रजनी जी
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अब पता चला कैक्टस भी उपयोगी है —
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समयानुसार सब उपयोगी है।☺
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bahut khoob likha hai apne.
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Thanks Indira Ji
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कैक्टस ही लगाएंगे सर
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