क्योंकि पुरुष है वो !!


क्योंकि पुरुष है वो !!



सुनो

ये सुबह शाम जो

मेरी बुराई करती हो

अब बंद कर दो,


बनाये रखो

अपने वजूद को

कुछ अलग 

बाकी दुनिया से,


आने दो कभी

चहकते हुए

घर वापस

मासूमियत के साथ


बचा लो

उस आदमी को

जो तुम्हारा है

उम्र भर,


जो ढो रहा है

ज़माने भर की लानते

और बुराईयाँ

क्योंकि पुरुष है वो !


अश्वनी राघव “रामेन्दु”

19/07/2017

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