क्योंकि पुरुष है वो !!
सुनो
ये सुबह शाम जो
मेरी बुराई करती हो
अब बंद कर दो,
बनाये रखो
अपने वजूद को
कुछ अलग
बाकी दुनिया से,
आने दो कभी
चहकते हुए
घर वापस
मासूमियत के साथ
बचा लो
उस आदमी को
जो तुम्हारा है
उम्र भर,
जो ढो रहा है
ज़माने भर की लानते
और बुराईयाँ
क्योंकि पुरुष है वो !
अश्वनी राघव “रामेन्दु”
19/07/2017
Habit khoob Bade Bhai
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Kamaal ka likha h kuchh hatkr sachchai ko likha h Bade Bhai
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कभी कभी दूसरे पक्ष की भी सुन लेनी चाहिए☺
तारीफ़ के लिए शुक्रिया मुकेश जी
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Bahut khub
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शुक्रिया विमला जी💐
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KYA KHUB LIKHAA HAI……LAAJWAAB.
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शुक्रिया मधुसूदन जी,
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