एक दिन ..


एक दिन
चट्टान बन
रोक लेंगी
उन्मादियों को
कपकपातीं टांगे,

एक दिन
जोर से चींखेंगी
बंद पड़ी जुबाने
माँगेंगी
अपना हक़,

एक दिन
छीन लेंगे
रहनुमाओं से
अपना हिस्सा
भूखे लोग

एक दिन
फ़िर इकठ्ठा होंगे
अपने लिए
किसान-मजदूर
जंतर मंतर पर

एक दिन
फिर शाम को
दोस्त मिलेंगे
नुक्कड़ पर
लगाएँगे ठहाके,

एक दिन
फिर इंसान
इंसान की तरह
इंसान से
मिलेगा  !!

अश्वनी राघव “रामेन्दु”


20/04/2022

8 thoughts on “एक दिन ..

  1. एक दिन
    फ़िर इकठ्ठा होंगे
    अपने लिए
    किसान-मजदूर
    जंतर मंतर पर
    और पुनः एक नेता
    देश को मिलेगा
    जो पीएगा
    पानी की जगह खून
    अपनों का
    अपना बनकर |

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